Sunday, March 2, 2014

उस नारी का अपमान
इस समाज कि  दुर्बलता है
उसकी विवशता
इस देश की कुव्यवस्था है
उसकी खंडित महिमा
संस्कृति का विध्वंस है

उसकी प्रगति सह नहीं पाया
ये पुरुष प्रधान समाज
इस बात का यह प्रमाण है
हीनता इस व्यवस्था कि है
जहा मुस्कुराता अपराधी
और शर्मिंदा पीड़ित है

गलती उसकी नहीं
किसी को वह उत्तरदायी नहीं
अब विनाश कि होगी ये पुकार
अगर अब भी न चेता संसार ।






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